LUCKNOW : राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राजभवन में उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा परिषदीय विद्यालयों के संचालन के बारे में प्रजेंटेशन को देखा। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि बच्चों की बुनियादी शिक्षा भविष्य की शिक्षा की रीढ़ है। एक से आठ तक उम्र के बच्चों में सीखने की शक्ति ज्यादा होती है। इनमें सुधार की सम्भावना ज्यादा होती है, ऐसी स्थिति में बच्चों को सीखाने का तरीका ऐसा होना चाहिए, जिससे बच्चे उसे आसानी से सीख सकें। इसलिए शिक्षकों का प्रशिक्षण भी उसी तरह का होना चाहिए जो बच्चों को आसान तरीके से कम से कम समय में अधिक से अधिक अंक व अक्षर ज्ञान सीखा सकें। आज के परिवेश को देखते हुए ही शिक्षकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि प्राथमिक स्कूल के बच्चों का भी शैक्षणिक कैलेण्डर होना चाहिए, जिसमें पूरे साल पड़ने वाले राष्ट्रीय पर्व, महापुरूषों के जन्मदिन एवं त्योहारों का जिक्र हो। बच्चों का पाठ्यक्रम तैयार करने में इस बात का ध्यान रखना होगा कि उसमें उसके आस-पास के परिवेश का विशेष उल्लेख हो। इसके लिए अलग-अलग विषयों के लिए अलग-अलग विशेषज्ञों की कमेटी बनायी जाय जिसमें विषय पढ़ाने वाले शिक्षक भी शामिल हो।
राज्यपाल ने कहा कि छोटे बच्चों को पोस्टर व चित्रों के माध्यम से सीखाने पर ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरूरत है। विद्यालय की दीवारों पर बच्चों की समझ के हिसाब से पोस्टर व चित्र बनाये जायं, जिन्हें देखकर बच्चे सीख लें। पोस्टर व चित्र बच्चों की लम्बाई के हिसाब से लगाएं जायं। उन्होंने बच्चों के ड्राप आउट पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि जिन बच्चों का नामांकन हुआ है, वह अगली कक्षा में भी रहे। इसके लिए बच्चों के माता-पिता व अभिभावकों को भी प्रेरित करते रहना चाहिए।