LUCKNOW : कभी कांग्रेस को पानी पी पी कर कोसने वाले आजम खां जल्द ही पंजे के कलेवर में नजर आ सकते हैं। समाजवादी पार्टी के मोहम्मद आजम खां फिलवक्त परिवार के साथ सीतापुर जेल में बंद हैं। उन पर 100 से ज्यादा मुकदमें चल रहे हैं जिनमें 10 केसो में जमानत मिल चुकी है शेष मुकदमों में जमानत मिलनी बाकी हैं। आजम खां को जेल में रहते हुए 6 महीने का समय बीत चुका हैं।
पुख्ता सूत्रों के मुताबिक आजम खां से जेल में मिलने प्रियंका गांधी कभी भी पहुंच सकती हैं। ठीक वैसे ही जैसे वह चन्द्रशेखर रावण से मिलने सहारनपुर पहुंच गयी थी और किसी को कानो—कान खबर तक नहीं हुई। आजम पार्टी की ओर से समर्थन न मिलने से निराश है और विकल्प की तरफ देख रहे हैं। कांग्रेस के रणनीतिकार भी चाहते हैं कि कोई मुस्लिम बड़ा चेहरा आये तो बात बनें। क्योंकि नसीमुददीन सिद्दीकी खुद को पार्टी में अभी तक साबित नहीं कर पाये हैं और न ही खुद को पोस्टर ब्वाय के तौर पर स्थापित करने में सफल हुए हैं।
आजम खां की सेकेंड लाइन के कई नेता कांग्रेस को ज्वाइन कर चुके हैं। इमरान प्रतापगढ़ी और इमरान मसूद इनमें प्रमुख है। इमरान मसूद का जादू पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक ही सीमित हैं। कांग्रेस ऐसे किसी नेता की तलाश में है जिसका मुसलमानों पर होल्ड हो और सभी को स्वीकार्य। आजम खां के जेल में रहने के कारण धीरे धीरे लोगों की सहूनभूति उन्हें मिल रही है।
आजम खां के सामने बहुजन समाज पार्टी में जाने का विकल्प भी खुला था लेकिन आजम खां वहां खुद को सहज रखने में थोड़ा हिचकिचा रहे थे। यदि सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही आजम खां कांग्रेस में खड़े दिखाई दे सकते हैं। आजम खां ने राजनीतिक तौर पर पिछले दिनों काफी कुछ खोया है। बेटे अब्दुल्ला की विधायकी जा चुकी है और तंजीन फात्मिा को राज्यसभा से इस्तीफा देना पड़ा है।
समाजवादी पार्टी ने शुरूआत में जरूर आजम खां के पक्ष में आंदोलन किया था। अहमद हसन के नेतृत्तव में डेलीगेशन गया था तो खुद अखिलेश यादव भी मैदान में उतरे थे। लेकिन आजम खां को जनता का सपोर्ट नहीं मिला। और पार्टी भी कोई बहुत बड़ा आंदोलन खड़ा नहीं कर सकी। सीतापुर जेल लखनऊ से मिली हुई है। ऐसे में आजम खां को लगता था कि पार्टी उनकी कानूनी मदद करेगी और जमीन पर आंदोलन कर सरकार पर दबाव बनाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
इसके बरअक्स कांग्रेस ने प्रदेश सरकार की लाख कोशिशों के बाद अपने प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को जेल से अजाद करवाया और लागातार जमीन पर आंदोलन किये। राजनीतिक विषलेश्क डीके त्रिपाठी कहते हैं कि सोशल मीडिया पर भी आजम खां गायब है और डा कफील और सफूरा के पक्ष में पोस्ट देखने को मिल जाती है। उनको भी यही लगता है कि यदि कांग्रेस आजम खा को अपने पक्ष में लाने में कामयाब हो जाती है तो ब्रहमण पहले से ही कांग्रेस में जाने के लिए तैयार है।