Bhopal: मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार को यदि पारले के 50:50 बिस्कुट के स्वाद के तौर पर चखा जाए तो मजा आ जाएगा। थोड़े नमकीन, थोड़े मीठे ही पारले बिस्कुट की खासियत है। कुछ ऐसा ही स्वाद मध्य प्रदेश सरकार भी है। क्योंकि वहां मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बीजेपी के शिवराज सिंह चौहान है तो अध्यक्ष की कुर्सी पर कांग्रेस। वहीं बात अगर कैबिनेट मंत्रियों की की जाए तो 33 सदस्यी मंत्रीमंडल में 14 सदस्य कांग्रेस के हैं। शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल के दूसरे विस्तार में 28 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई है। इनमें 20 कैबिनेट और आठ राज्यमंत्री हैं। इन मंत्रियों में अगर राजनीतिक सरपरस्ती को देखा जाए तो सबसे ज्यादा स्थान कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों को मिला है। इसमें अगर कांग्रेस से आए अन्य नेताओं को शामिल कर लिया जाए तो यह आंकड़ा 14 पर पहुंच जाता है। यानी 33 सदस्यीय मंत्रिमंडल में 14 सदस्य कांग्रेस से भाजपा में आने वाले हैं।
मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर काफी अरसे से तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे थे और संभावना इस बात की जताई जा रही थी कि राज्य के कद्दावर नेताओं के करीबियों को स्थान तो मिलेगा ही। लेकिन केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, थावरचंद गहलोत और प्रहलाद पटेल व राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के करीबियों को जगह नहीं मिल पाई है। वहीं केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के करीबी भारत सिंह कुशवाहा ही मंत्री बन पाए हैं।
मंत्री पद की दौड़ में शामिल संजय पाठक का कहना है कि प्रदेश में सरकार ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण बनी है और उनके साथ जो लोग पार्टी में आए हैं, उन्होंने विधायक का पद त्यागा है, लिहाजा उन्हें मंत्री बनाया जाना जरूरी था।