NEW DELHI : कोविड के नाम पर तनावग्रस्त माहौल को पैनिक माहौल मे बदलने की कोशिश की जा रही है। नई दिल्ली स्थित कस्तूरबा हास्टल को हरिजन सेवक संघ के अंतर्गत चलाया जाता है। जब कोरोना फैला तो इस हास्टल को भी बंद कर दिया गया। हास्टल में एक कमरे में 4 छात्रओं को रूकने की व्यवस्था है जिनसे 12 हजार रूपये प्रतिमाह लिये जाते हैं। पिछले दिनो कुछ छात्राएं परीक्षाएं देने के लिए लौटी तो उनसे कहा गया कि अब हास्टल नहीं चलेगा अपना समान उठा ले जाओ। छात्राओं का आरोप है कि उनके साथ बदसलूकी की गयी।
हास्टल में रह रही प्रियंका जो कि दिल्ली विश्वविद्यालय में लॉ की छात्र हैं, मैनपुरी से वापस हॉस्टल आई हैं, उन्होंने बताया कि वह एग्जाम देने के लिए वापस दिल्ली आई हैं। हमारा सामान यहीं रखा हुआ है। हमसे बोला गया कि हम अब हॉस्टल नहीं चलाएंगे और अपना सामान ले जाओ। हम 6 लड़कियां एक साथ आए थे, लेकिन दो लड़कियों पर दबाब बनाकर उन्हें वापस लौटा दिया गया।
छात्राओं ने आरोप लगाया कि, पुलिस ने हमें धमकाया, हमारे ऊपर मुकदमा दर्ज कर जिंदगी बर्बाद करने की धमकी दी गई। जबरजस्ती हॉस्टल खाली कराने की वजह से ये दबाब बनाया जा रहा है।
गिरिजा तिवारी यूपीएससी की तैयारी कर रही हैं और परीक्षा के चलते वो कानपुर से आई हैं और 1 सितंबर को सुबह 6 बजे हॉस्टल पहुंची। उनके मुताबिक आने से पहले हम फोन करते रहे, हमें जवाब नहीं दिया गया। आने के बाद मैंने सबसे पहले अपनी वॉर्डन को सूचित किया, जिसके बाद उन्होंने मना कर दिया। इसके बाद मैंने सीनियर को फोन कर सूचित किया। लेकिन, मुझसे कह दिया गया कि जहां से आप आये हैं, वहीं वापस चले जाएं। हॉस्टल हम नहीं खोलेंगे।
हरिजन सेवक संघ के सचिव रजनीश कुमार ने उक्त सम्पूर्ण प्रकरण पर अपनी बात कही। उनके मुताबिक हरिजन सेवक संघ रजिस्टर्ड सोसाइटी है। माता कस्तूरबा हॉस्टल में 30-35 बच्चे रहते हैं, कोरोना की वजह से कई बच्चे घर चले गए। हमारे पास इंतजाम नहीं है। हमारी कोर कमिटी ने फैसले लिया की जब तक कोरोना है, हम होस्टल नहीं खोलेंगे।