NEW DELHI : तो क्या मोदी सरकार चौथा बिल लाकर किसानों को उनकी उपज का समर्थन मूल्य देगी। हालात को कुछ ऐसे ही बन रहे हैं। कृषि के क्षेत्र में बने नये कानूनों का चारो ओर विरोध हो रहा है। मोदी सरकार में पहली बार बिल के विरोध में किसी केन्द्रीय मंत्री ने इस्तीफा दिया है। और बैठे बिठाए विपक्ष के हाथ एक तगड़ा मुददा लगा है। अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने भी बयान जारी कर कहा है कि सरकार को बिलों को लेकर उठती आवाजों और किसानों की प्रतिक्रियाओं का समाधान करना होगा।
स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक अश्विनी महाजन के मुताबिक अच्छा होगा कि सरकार इन्हीं तीन बिलों में एमएसपी की गारंटी का जिक्र करती। अगर तीन बिलों में यह व्यवस्था नहीं हो सकी तो फिर सरकार को चौथा बिल लाकर किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य(एमएसपी) की गारंटी देना चाहिए। सरकार को कानून बनाकर एमएसपी से कम रेट पर खरीद को गैर कानूनी घोषित कर देना चाहिए। क्योंकि जब तक किसान को उचित मूल्य सुनिश्चित नहीं होगा, तब तक हर व्यवस्था बेमानी है।
स्वदेशी जागरण मंच का मानना है कि किसानों की बार्गेनिंग पॉवर यानी मोल-भाव करने की क्षमता बहुत कम होती है। उनकी इसी मजबूरी का फायदा बाजार उठाता है। माना कि सरकार के दावे के मुताबिक नए कानूनों से न एमएसपी खत्म होगी और न ही मंडियों की सेहत पर कोई फर्क पड़ेगा, लेकिन सवाल उठता है कि नए कानूनों से जिन प्राइवेट प्लेयर्स के लिए रास्ता खुलेगा, इसकी क्या गारंटी है कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत ही खरीद करेंगे।
अश्विनी महाजन ने कहा कि सरकार तो न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की जिम्मेदारी निभाएगी, लेकिन ऐसा कानून होना चाहिए कि प्राइवेट खरीदारों को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद करने की बाध्यता हो। अगर कोई एमएसपी से कम रेट पर खरीदे तो उसके खिलाफ कार्रवाई हो। एमएसपी से कम रेट पर खरीद को गैर कानूनी घोषित किया जाए।