LUCKNOW : आगरा का पेठा और जनवरों को बचाने वाली संस्था पेटा ने माठा कर दिया है। ऐसा हम नही बल्कि मुस्लिम समाज के लोग कह रहे हैं। इस बार पहले सही दुखी मुस्लिम समुदाय के भावनाओं को दुखी करने का काम पेटा नाम की संस्था कर रही है। पेटा ने सेव द बकरा नाम से एक मुहिम चलाई है। इसमे वह अपील कर रही है कि इस बकरीद पर बकरा न कांटे। पेटा ने लखनऊ में कई जगह होर्लिडंस लगाई हैं। इस अपील को पेटा के कानूनी सहयागी अमीर नबी ने जारी किया है।
पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) इंडिया ने बकरों की कुर्बानी देने से रोकने के शुरू किये अभियान का असर दिखाई देने लगा है। पेटा द्वारा लगाई होल्डिंस पर लिखा है, मैं मैं, मांस नहीं, व्यक्तिगत रूप से देखें, शाकाहारी बनें। होर्डिग में एक बकरा भी नजर आ रहा है।
ईद उल-अजहा बकरीद त्योहार भारत में 31 जुलाई और 1 अगस्त को है। इस त्योहार के में बकरों की बलि कुर्बानी दी जाती है। पेटा इंडिया के कानूनी सहयोगी अमीर नबी ने कहा, सभी धर्म दया का आह्वान करते हैं, और किसी भी धर्म में मांस खाना जरूरी नहीं होता है। मैं ईद पर जरूरतमंदों को फल बांटता हूं। बकरों को दर्द और डर महसूस होता है, अलग तरह के व्यक्ति बनें, और उनके जीवन को भी महत्व दें। जैसा कि हम करते हैं।
पेटा इंडिया ने राज्यों से त्योहार पर किसी भी तरह के अवैध परिवहन और जानवरों की हत्या को रोकने का भी आह्वान किया है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही फैसला दे दिया है कि जानवरों को केवल आधिकारिक तौर पर लाइसेंस प्राप्त बूचड़खानों में ही काटा जा सकता है।