AYODHYA : कोरोना महामारी के चलते इस साल जंहा एक तरफ़ रामनगरी में नही गूंजेगा बोल बम का नारा तो वन्ही राम की नगरी कांवड़ यात्रियों से भी सूनी रहेंगी। वैश्विक महामारी का रूप ले चुका कोविड 19 वायरस से जंहा पूरा देश जूझ रहा है वहीं इस महामारी ने आस्था पर भी चोट पहुंचाने में कोई कसर नही छोड़ रहा है। हिंदू धर्म का नव वर्ष जो की चैत्र राम नवमी से शुरू होता है वो भी कोरोना काल के ग्रास में समा गया जबकि नवरात्र के दिनों में भी लोग देवी मां के दर्शन से महरूम हुए।
इसी वायरस से मुस्लिम समाज भी पवित्र महीने रमज़ान में मस्जिद में जाकर इबादत से महरूम हुए तो ईद की खुशियां भी कोरोना महामारी से फीकी पड़ गई। कोरोना महामारी से बचने के लिए सरकार द्वारा किए गए लाकडाऊन में छूट तो दी गयी लेकिन महामारी से निजात मिलना तो दूर मरीज़ों की बढ़ती संख्या के कारण अब लगता है राम नगरी का सुप्रसिद्ध व ऐतिहासिक सावन झूला मेला व कांवड़ यात्रा पर भी कोरोना का ग्रहण लगता हुआ दिख रहा है।
ज़िला प्रशासन व पुलिस प्रशासन ने कोरोना मरीज़ों की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए कांवड़ यात्रा पर भी प्रतिबंध करने का मन बना लिया है जिसके लिए पुलिस प्रशासन द्वारा शिवालयों के पुजारियों व संतो महंतों के माध्यम से कांवड़ यात्रा न निकालने और अपने अपने घरों में ही आराध्य को जलाभिषेक करने की अपील कराने में जुटा हुआ है। फिलहाल कोरोना महामारी के चलते इस बार रामनगरी में बोलबम के जयकारे जंहा सुनने के लिए कान तरसेंगे वन्ही करीब सवा माह तक कांवड़ यात्रियों से गुलज़ार रहने वाली अयोध्या भी सूनी सूनी दिखाई पड़ेगी।
महंत रामदास, नाका हनुमानगढ़ी ने कहा है कि यात्रा न निकाले गांव के मंदिर की परिक्रमा करें और वहीं कावड़ चढ़ा दें । अगर जीवन सुरक्षित है तो आगे त्योहार मनाएंगे। सरकार ने जो निर्णय लिया है वह सोच समझ कर लिया होगा