AYODHYA : खबर अयोध्या से है। एक तरफ कोरोना महामारी से धंधा मंदी के कगार पर है तो दूसरी तरफ़ 3 महीने की स्कूल की फीस को लेकर अभिवावक रातो दिन अपने बच्चों के भविष्य की चिंता में रात रात भर जागने को मजबूर हैं। मामला जिलाधिकारी के भी संज्ञान में हैं लेकिन कुछ स्कूलों के मालिकान इतने रसूखदार हैं की शायद उन पर कोई कार्रवाई भी नही हो रही है जिससे अभिवावकों को और चिंता सताए जा रही है।
बता दें कि कोरोना वायरस कोविड 19 के प्रकोप के चलते पिछले 3 महीने से सभी का कारोबार बंद ही चल रहा है।अन लॉक 1 और 2 के बाद लोगों को थोड़ी बहुत राहत मिली थी कि इसी बीच अभिवावकों को स्कूलो से ऑन लाईन क्लासेस की सूचना के साथ साथ फीस जमा करने का भी फरमान जारी कर दिया जाता है। जिससे अभिभावक बौखला जाते हैं और मदद की गुहार लगाते हुए समाजसेवियों से फीस माफी की मुहिम चलाने का अनुरोध करते हैं।
पूरा बाज़ार ब्लॉक के युवा समाजसेवी नवाब सिंह फीस माफी अभियान की शुरुआत करते हैं। जिससे प्रभावित होकर करीब 40 स्कूलों द्वारा फीस माफ कर दी जाती है। लेकिन कुछ cbsc पैटर्न के स्कूल जिनके मालिकान काफ़ी रसूखदार हैं उनके द्वारा फीस माफ तो दूर कई बच्चों के नाम काट दिये और ऑन लाइन चल रही कक्षाओं से भी बच्चों को वंचित कर दिया गया।
समाजसेवी नवाब सिंह की अगर माने तो उनके द्वारा फीस माफी को लेकर चिन्हित स्कूलों के बाहर धरना प्रदर्शन के लिए अनुमति भी मांगी गई जिसके बाद प्रशासन ने अनुमति भी नही दिया। वन्ही ज़िले की महिला अधिवक्ता श्वेता राज सिंह भी अपने बेटे की पढ़ाई को लेकर एक अभिवावक के रूप में चिंतित हैं क्यूंकि उनके बेटे को भी स्कूल प्रबंधन द्वारा फीस न जमा करने के कारण पढ़ाई से दूर कर दिया गया, तो वन्ही कोतवाली नगर के साहबगंज निवासी सौरभ जायसवाल भी अपने बेटे की फीस न जमा कर पाने की वजह से बेटे की शिक्षा को लेकर बेहद चिंतित हैं और कई जनप्रतिनिधिओ को इस संबध में शिकायत करते हुए फीस माफ करने की अपील की है।
अब सवाल ये उठता है कि जिन विद्यालयों ने अब तक फीस माफ कर बच्चों के अभिवावकों को राहत देने का काम किया है तो फिर बाकी बचे विद्यालयो में क्यूँ नही फीस माफ करते हुए चिंतित अभिवावकों के चेहरों पर मुस्कान बिखेरने का काम किया जा रहा है। क्या अयोध्या ज़िला प्रशासन ऐसे स्कूलो को चिन्हित कर कार्रवाई करेगा या परेशान हाल अभिवावक को और परेशान होना पड़ेगा।