NEW DELHI : पाक अपने नापाक इरादों से बाज नहीं आ रहा है। पाकिस्तान की खुफिया एंजेसी आईएसआई उन गरीब भारतीय मुस्लमानों को टारगेट कर रही है जिनके रिश्तेदार पाकिस्तान में रहते हैं और वह समय समय पर उनसे मिलने वहां जाते हैं। ऐसा ही एक मामला जनपद गोरखपुर से समाने आया है जहां आरिफ नाम के व्यक्ति को पाकिस्तान ने जासूस बनने के लिए मजबूर कर दिया।
हुआ यह कि आरिफ की पत्नी का देहांत हो गया और वह पाकिस्तान में रहने वाली अपनी बहन से मिलने गया। बस यहीं से उसे खुफिया एजेंसी के लोगों ने ट्रेप कर लिया। पाक खुफिया एजेंसी के लोगों ने उससे दोस्ती की और उसे वहां लड़की परोस कर उसका अश्लील वीडियो बना लिया। आरिफ को इस कांड की भनक तक नहीं लगी। जब वह भारत वापस आया तो उसके पास फोन कॉल आना शुरू हुए और उन लोगों ने आरिफ को ब्लैकमेल कर सैन्य ठिकानों की खुफिया जानकारी हासिल की।
आरिफ गोरखपुर में चाय-नाश्ते की दुकान चलाता है।आरिफ की पत्नी की 2014 में मौत हो गई थी। आरिफ चार बार- 2014, 2016, 2017 और दिसंबर, 2018 में पाकिस्तान गया था। आखिरी यात्रा के दौरान कराची में उसकी बहन के घर दो पाकिस्तानी आईएसआई अधिकारी फहद और राणा वीजा अधिकारी बनकर आए। बाद में उनका आना-जाना बढ़ गया और वे दोस्त की तरह आरिफ को कराची शहर के आसपास मॉल, समुद्री तट, रेस्तरां में घुमाने लगे और उसके साथ लंच-डिनर करने लगे।
आरिफ के भारत लौटने से 10 दिन पहले, फहद और राणा अकील उसे एक सुरक्षित घर में ले गए और वहां उसे एक युवा और सुंदर सेक्स वर्कर की सेवाएं ऑफर कीं। विधुर इस प्रलोभन का विरोध नहीं कर सका और उसने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। बाद में पता चला कि उस रात सेक्स वर्कर के साथ उसकी हरकतों को कई कैमरों में कैद किया जा रहा है।
सूत्रों ने बताया कि फिर आईएसआई ने भारतीय सुरक्षाकर्मियों तक पहुंचने और उनसे रक्षा संबंधी जानकारी हासिल करने के लिए इस व्हाट्सएप अकाउंट का इस्तेमाल किया। इसी नंबर से कई सेवा दे रहे सुरक्षा कर्मियों को सदस्य बनाकर व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाए गए।
आरिफ ने पूछताछकर्ताओं को बताया कि उसने गोरखपुर रेलवे स्टेशन और भारतीय वायुसेना स्टेशन के मुख्यद्वार और कुंद्रा घाट मिल्रिटी स्टेशन की तस्वीरें कराची में अपने हैंडलर को भेजी थीं। उसे इन फोटो के लिए 5,000 रुपये भी मिले। आरिफ ने यह भी खुलासा किया है कि उसे दो आईएसआई एजेंटों ने भारतीय सैनिकों या ऐसे किसी भी व्यक्ति से परिचित कराने के लिए भी कहा गया जो भारत में सैन्य प्रतिष्ठान तक पहुंच रखते हों।
उनकी मांगों को पूरा करने में असमर्थ, आरिफ उनसे बचने लगा और उसने इंटरनेट का उपयोग करना बंद कर दिया। इस बीच उन्होंने शमा परवीन से शादी कर ली और अपनी दूसरी पत्नी के साथ परेशानी-मुक्त जीवन जीने की ख्वाहिश रखी। 14 जुलाई को उसने अपना फोन भी फॉर्मेट कर लिया।
आरिफ के मोबाइल डिवाइस, सिम कार्ड और अन्य सामानों की जांच के दौरान ऐसा कुछ नहीं मिला है, जिसे अदालत में सबूत के तौर पर पेश किया जा सके। लिहाजा, जांचकर्ताओं ने केवल उसके बयानों के आधार पर मामला दर्ज करने का फैसला किया है। आरिफ की उम्र, आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए और यह देखते हुए कि उसे अपने गलत काम का अहसास है और उसने आईएसआई एजेंटों की ज्यादा मदद नहीं की है, जांचकर्ताओं ने उसे सलाह और चेतावनी देने के बाद घर जाने दिया।
एक अधिकारी ने कहा, इस मामले ने गरीब या निम्न-मध्य वर्ग के उन भारतीय मुस्लिम परिवारों के सदस्यों के खिलाफ आईएसआई के नापाक मंसूबों का खुलासा किया है, जो पाकिस्तान के विभिन्न शहरों में अपने रिश्तेदारों के यहां जाते हैं।