Wednesday, November 6, 2024
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इमरजेंसी लैंडिग कराने में सफल रहे पायलट

NEW DELHI : राजस्थान कांग्रेस में सरकार की हैप्पी एंडिंग के बाद अब पायलट के राजनैतिक कैरियर पर मंथन शुरू हो रहा है। आलाकमान ने सचिन पायलट की शिकायते सुनने के लिए तीन सदस्यी पैनल का गठन किय है। पैनल के गठन से पहले सचिन पायलट और राहुल गांधी की मुलाकात हुई जिसमें दोनों नेताओं ने खुल कर बात की ।

पार्टी महासचिव (संगठन) के. सी. वेणुगोपाल ने एक बयान जारी कर बाताया कि इस बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने फैसला किया है कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी पायलट एवं अन्य नाराज विधायकों की ओर से उठाए गए मुद्दों के निदान एवं उचित समाधान तक पहुंचने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन करेगी।

उन्होंने कहा, सचिन पायलट ने राहुल गांधी जी से मुलाकात की और उन्हें विस्तार से अपनी चिंताओं से अवगत कराया। दोंनों के बीच स्पष्ट, खुली और निर्णायक बातचीत हुई। उनके मुताबिक, पायलट ने कांग्रेस पार्टी और राजस्थान में कांग्रेस सरकार के हित में काम करने की प्रतिबद्धता जताई है। राजस्थान के बागी कांग्रेस नेता सचिन पायलट और उनके समर्थकों को पार्टी में लाने की कोशिशों के बीच, नाराज चल रहे नेता ने सोमवार को राहुल गांधी से उनके आवास पर मुलाकात की।

सूत्रों के मुताबिक, पायलट के राहुल गांधी से उनके आवास पर मुलाकात करने के बाद दोनों ने पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी की मौजूदगी में एक और मुलाकात की। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के निवास पर पहुंचे, जहां तीनों ने मुलाकात कर विचार विमर्श किया। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस ने पायलट को आश्वासन दिया है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्य की राजनीति के बारे में उनकी शिकायतों का संज्ञान लिया जाएगा और उनकी पिछली स्थिति उप मुख्यमंत्री और राज्य पार्टी प्रमुख को बहाल किया जाएगा।

कांग्रेस नेताओं ने दावा किया कि पायलट खेमे ने अहमद पटेल सहित पार्टी के शीर्ष नेताओं से संपर्क किया था और हालिया घटनाक्रम पर राहुल गांधी को भी विश्वास में लिया गया है और उन्होंने इस कदम का समर्थन किया है। कांग्रेस ने पायलट के बागी तेवर दिखाने के बाद उन्हें उपमुख्यमंत्री और राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष पद से बर्खास्त कर दिया था। रविवार की रात जैसलमेर के एक होटल में ठहरे गहलोत खेमे के कांग्रेस विधायकों की बैठक में विद्रोहियों को पार्टी में वापस लेने को लेकर मिश्रित विचार सामने आए। कुछ विधायकों ने बागी खेमे के नेताओं को वापस लेने के लिए कहा, वहीं कुछ इसके पक्ष में नहीं थे।

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