NEW DELHI : यह कहना अतिशोक्ति नहीं होगी कि राजस्थान की गहलोत सरकार को बचाने में इन्फारमर विधायकों का बड़ा योगदान है। कुल मिलाकर कांग्रेस के लिए अच्छी खबर यह है कि राजस्थान में कमल नहीं खिल पाया और अभी तक के संकेतों के मुताबिक गहलोत मुख्यमंत्री बने रहेंगे जबकि सचिन पायलट को दोबारा से उप—मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। गहलोत सरकार को बचाने में मुख्य भूमिका निभाई है अहमद पटेल ने। अहमद पटेल की कसी फील्डिंग के जरिये ही संक्रमित विधायकों की वापसी हुई और सचिन पायलअ को अपने हथियार डालने पड़े। अहमद पटेल ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि पार्टी नेतृत्व को संकट से निकालने का उनका कौशल क्यों जबरदस्त और जरूरी है।
कांग्रेस मध्यप्रदेश में सत्ता खोने के छह महीने के भीतर दूसरा राज्य नहीं खोना चाहती थी और इसलिए अपने दिग्गज नेता की बातचीत के कौशल पर भरोसा जताया। सचिन पायलट के मामले में, यह कांग्रेस के कोषाध्यक्ष थे, जिन्होंने तत्कालीन राजस्थान के उपमुख्यमंत्री द्वारा बगावत के पहले दिन चार विधायकों की वापसी कराने में कामयाबी हासिल की थी।
राज्यसभा सदस्य पटेल ने पार्टी के बागियों के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व किया और राज्य सरकार को बचाने के लिए अशोक गहलोत का समर्थन किया। यह लड़ाई कई मोर्चो पर लड़ी गई। कांग्रेस की कानूनी टीम ने इसे अदालतों में लड़ा, गहलोत ने अपने विधायकों पर पकड़ बनाए रखी, और साथ ही कुछ भाजपा विधायकों पर जीत हासिल करने का प्रयास किया।
पार्टी के एक नेता ने कहा कि पटेल की कार्यशैली ने लड़ाई में जुटे गुटों के बीच सेतु बनाने में मदद की। वह पार्टी में अलग-अलग आवाजें उठा सकते हैं और फिर भी बड़े राजनीतिक ऑपरेशन करते हुए पर्दे के पीछे रह सकते हैं।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि पायलट खेमे में ट्रोजन हॉर्स भी मौजूद थे जो कांग्रेस नेतृत्व के साथ नियमित संपर्क में थे। एक बार जब पायलट खेमे ने बातचीत शुरू की, तो कांग्रेस द्वारा पहला कदम राजस्थान पुलिस एसओजी द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए राजद्रोह के आरोपों को हटाने के लिए उठाया गया था। उसके बाद अहमद पटेल ने पलट कर नहीं देखा और सचिन पायलट की राहुलगांधी समेत सोनिया और प्रियंका गांधी से बातचीत हुई। सचिन पायलट ने खुल कर अपनी बात रखी और नेतृत्व को बतया कि किस प्रकार वह लगातार हर्ट हो रहे थे। आलाकमान ने उन्हें भरोसा दिलाया कि उनके मान सम्मान का पूरा ख्याल रखा जाएगा।