New Delhi : इन दिनों कई मुददों को लेकर नेपाल और भारत के बीच तनाव है। तनाव की शुरूआत नेपाली पीएम ओली के उस कदम के चलते हुई जिसमें उन्होंने नेपाल का नया नक्शा बनाया और उसे कानूनी मान्यता भी दे दी। उसके बाद स्थितिंया खराब हुई और सीमा पर बंदूक तक चली। इन सभी चीजों पर आरएसएस यानी की राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ की पैनी नजर बनी हुई है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुताबिक अगर नेपाल चीन के हाथों से जल्द बाहर नहीं आया तो उसका भी हाल तिब्बत जैस होगा। संघ का मानना है कि सबसे हिंदू आबादी के कारण नेपाल के प्रति हमेशा से संघ रूचि रखता है। राजशाही तक नेपाल हिंदू राष्ट्र था और राजशाही खत्म होने के बाद उसे लोकतांत्रिक देश घोषित कर दिया।
संघ का साफ मानना है कि नेपाल में ओली सरकार चीन के हाथो में खेल रही है। ओली ने चीन के समक्ष सरेडर कर दिया है और जो चीन चाहता है वह नेपाल कर रहा है। संघ ने चीन को आगह करते हुए कहा है कि अगर चीन के चंगुल से नेपाल बाहर नहीं आया तो फिर उसकी स्थिति तिब्बत की तरह होगी।
संघ का मानना है कि नेपाल को चीन के प्रभाव से बाहर आना ही होगा। नहीं तो उसकी संप्रभुता ही खतरे में पड़ जाएगी। क्योंकि चीन की विस्तारवादी नीतियों की दुनिया गवाह है। पड़ोसी देशों की जमीन पर उसकी निगाह हमेशा रहती है। नेपाल की जमीन पर भी उसने कब्जा शुरू कर दिया है। मित्र राष्ट्र नेपाल को चीन की चाल से होशियार रहना होगा।