NOIDA : कोरोना काल में वैसे तो सभी परेशान है। सभी के सामने रोजी और रोटी का संकट है। लेकिन किन्नर समाज को कोरोना का डंक ज्यादा गहरा लगा है। लोगों की खुशियों को गा—बजा कर सेलीब्रेट करने वाले इस समाज के सामने जीने का संकट है । आंकड़ों के मुताबिक गौतमबुद्धनगर, पूर्वी दिल्ली और गाजियाबाद के 3200 से ज्यादा किन्नर भूख से परेशान। इनकी मदद के लिए न तो कोई आम आदमी सामने आया और न ही किसी समाजजिक संस्था ने हाथ आगे बढ़ाया । भूख् से बिलखते इन किन्नरों पर तरस खाया इसी समाज के धन्डय किन्नरों ने तब जाकर इनके दो वक्त की रोटी मिली।
बसेरा सामाजिक संस्थान वह सोशल आर्गनाइजेशन है जो किन्नों की मदद करती है। इसकी प्रोग्राम कोआर्डिनेटर रिजवान उर्फ रामकली के मुताबिक इस संस्थान से फिलहाल 1670 किन्नर पंजीकृत हैं और अन्य करीब 1600 किन्नरों का भी जल्द पंजीकरण की औपचारिकताएं पूरी की जा रही है। उनहांने कहा कि उन्हें जब पता चला कि समाज के लोगों तकलीफ में है तो उन्होंने मार्च से पका हुआ खाना बांटना शुरू किया। पहले 7 दिन खाना बांटा तो पता चला कि खाना सिर्फ एक बार ही खा पाते हैं। दूसरी बार में खाना खराब हो जाता है। उसके बाद हमने कच्चा राशन बांटना शुरू किया। हम अब तक करीब 2000 राशन के किट किन्नरों को बांट चुके हैं।
संस्था में रजिस्टर्ड 1670 किन्नरों में मौजूदा वक्त में सिर्फ 3 किन्नर जॉब कर रही हैं। दो हाईकोर्ट और एक निजी कंपनी में काम करती है। अन्य किन्नर बसों, ट्रेनों, ट्रैफिक लाइट पर पैसे मांगने का काम करती हैं, कुछ किन्नर शादियों में पैसा मांगती है तो कुछ किन्नर सेक्सवर्क का काम करती हैं। वो भी कोरोना की वजह से बंद है।