LUDHIYANA : राजनीति को राजनीति न कहकर शडयंत्र, धोखा और वादाखिलाफी कहा जाए तो ठीक रहेगा। भारत की राजनीति नहीं बल्कि पूरी दुनिया की रजनीति में यही तीन शब्द तरक्की के मायने हैं। पंजाब में वह हुआ जो कभी यूपी में हुआ करता था। वहां अकाली दल के असंतुष्ट नेताओं ने राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा को शिरोमणि अकाली दल (शिअद) का अध्यक्ष चुन लिया और सुखबीर सिंह बादल को शीर्ष पद से हटा दिया।
सुखदेव सिंह ढींढसा को उनके पुत्र और पंजाब के पूर्व वित्त मंत्री परमिंदर सिंह ढींढसा के साथ कथित रूप से पार्टी-विरोधी गतिविधियों के आरोप में इस साल फरवरी में शिअद से निष्कासित कर दिया गया था। बाद में ढींढसा ने शिअद (टकसाली) समेत पार्टी के अलग हुए गुटों के साथ हाथ मिला लिया था।
हालांकि पार्टी ने इस कदम को अवैध और धोखाधड़ी करार दिया है। शिअद के प्रवक्ता और वरिष्ठ नेता दलजीत सिंह चीमा ने इस कदम को अवैध और धोखाधड़ी करार देते हुए इस कार्य को कांग्रेस के इशारे पर किए जाने का आरोप लगाया।
चीमा ने मीडिया को बताया कि शिअद 100 साल पुरानी पार्टी है, जो भारत निर्वाचन आयोग के पास पंजीकृत है।