AHMADABAD : विशेष सीबीआई अदालत अहमदाबाद ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए 2003 में हुई सादिक जमाल कथित फर्जी मुठभेड़ कांड के आरोपी दो पुलिसकर्मियों को आरोप मुक्त करने का फैसला सुनाया है। भावनगर निवासी सादिक 13 जनवरी, 2003 को शहर के बाहरी इलाके नरोदा में कथित फर्जी पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। अदालत ने कहा है कि पुलिस कर्मियों के खिलाफ मामले को आगे बढ़ाने का पर्याप्त आधार नहीं है।
सादिक पर आरोप थे कि वह लश्कर-ए-तैयबा का आतंकवादी था। और वह उस वक्त के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और कई बीजेपी नेताओं को मारना चाहता था।
उपनिरीक्षक आर एल मवानी और कांस्टेबल ए एस यादव ने इस साल अगस्त में आरोप मुक्त करने के लिए अर्जियां दी थी। सीबीआई ने इन दोनो पर मुठभेड़ टीम का हिस्सा होने का आरोप लगाया था।
दिसंबर, 2012 को दायर किये गये अपने आरोप पत्र में सीबीआई ने कहा था कि यह मुठभेड़ एक पूर्व नियोजित साजिश थी, जिसके तहत आरोपी पुलिसकर्मियों ने दो जनवरी, 2003 को अपने मुम्बई के समकक्षों से सादिक को अपनी हिरासत में लिया था। फिर उन्होंने उसे शाहीबाग में 13 जनवरी तक एक बंगले में बंधक बनाकर रखा एवं बाद में उसे मार डाला।