LUCKNOW : सिविल कोर्ट के सीनियर एडवोकेट श्याम सुंदर श्रीवास्तव ने एक ऐसी मिसाल कायम की है, जिसकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है। उन्होंने अपनी विधवा बहू को बेटी बनाकर धूमधाम से उसे विदा किया। गौरतलब है कि कुछ वर्षों पहले श्याम सुंदर की धर्मपत्नी का निधन हो गया था इसके पश्चात उनके एकमात्र पुत्र का भी निधन हो गया था।
मां—बेटे के निधन के बाद परिवार में श्याम सुंदर और उनकी विधवा बहू ही रह रहे थे। लड़के और बहू के कोई संतान नहीं थी और बहु की आयु मात्र 23- 24 साल की ही है। ऐसे में श्याम सुंदरने अपनी बहू का घर बसाने की सोची और उसके लिए शुरू किया एक योग्य वर की तलाश।
उन्होंने यह बात जब लोगों से बताई तो कुछ ने उनको मना किया तो बहुत से लोगों ने उनका उत्सावर्धन भी किया। कई रिश्तों के बीच में उन्होंने एक रिश्ते को फाइनल किया और अपनी बहु की शादी तय कर दी। शुक्रवार की शाम को धूम—धाम के साथ श्याम सुंदर की बहु का पुनर्विवाह करा दिया गया। बहू के परिजनों ने श्याम सुंदर की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए पूरा साथ दिया।
उनके मित्र कहते हैं कि यह कोई कहानी नहीं है हम सबको प्रेरणा देने वाले श्याम सुंदर श्रीवास्तव भाई साहब की आंतरिक शक्ति, मानवता से ओतप्रोत गमगीन आत्मकथा है। जिसको मैंने नजदीकी से देखा, सहा और महसूस किया। भाई साहब के जीवन में कितना दर्द है मगर फिर भी उन्होंने बहू का कन्यादान किया, आज वह पत्नी और पुत्र के निधन के बाद फिर से अकेले हो गए मगर अपने अकेलेपन की चिंता ना करते हुए बेटी समान बहू को बेटी मानकर विदा किया, यही सच्चे मूल्यों में महानता है।